ज़िंदगी है बंधी कायदों मे,
हर शक्स की तारुफ़ सौदे मे,
बाज़ार ये ज़िंदा है मुनाफ़े मे,
समाज ये पनपता है दायरों मे,
लेकिन सब कुछ सिर्फ आकड़े है |
हर शक्स की तारुफ़ सौदे मे,
बाज़ार ये ज़िंदा है मुनाफ़े मे,
समाज ये पनपता है दायरों मे,
लेकिन सब कुछ सिर्फ आकड़े है |
जो आज़ादी मिली , एक आकड़ा ,
कितने मुहाजिर हुए, एक आकड़ा ,
जो दंगो के अंजाम हुए, एक आकड़ा ,
कितने कत्ल-ए-आम हुए, एक आकड़ा |
कहीं थे बेरोज़गारी के किस्से,
किधर भुकमरी से भरी सड़के,
कभी जंग से बिखरे कारतूस,
कहीं कब्र में इतिहास मशरूफ,
सारे एक आकड़े ||
कितने मुहाजिर हुए, एक आकड़ा ,
जो दंगो के अंजाम हुए, एक आकड़ा ,
कितने कत्ल-ए-आम हुए, एक आकड़ा |
कहीं थे बेरोज़गारी के किस्से,
किधर भुकमरी से भरी सड़के,
कभी जंग से बिखरे कारतूस,
कहीं कब्र में इतिहास मशरूफ,
सारे एक आकड़े ||
गरीबी की सीमा बनी, एक आकड़ा,
परिचय का सबूत, एक आकड़ा,
तालीम के हकदार, एक आकड़ा,
रोज़गार के उम्मीदवार, एक आकड़ा |
कभी कानून था इंसाफ में नाकाम्याब,
कोई अर्ज़ी में दलीले बेहिसाब,
कहीं रिशवत से मज़बूत हुए सरकार,
किधर व्यापार ने बनाया काला बाज़ार,
सारे एक आकड़े ||
परिचय का सबूत, एक आकड़ा,
तालीम के हकदार, एक आकड़ा,
रोज़गार के उम्मीदवार, एक आकड़ा |
कभी कानून था इंसाफ में नाकाम्याब,
कोई अर्ज़ी में दलीले बेहिसाब,
कहीं रिशवत से मज़बूत हुए सरकार,
किधर व्यापार ने बनाया काला बाज़ार,
सारे एक आकड़े ||
बिमारी की बीमा बनी, एक आकड़ा,
किसानो की क़र्ज़ मुक्ति, एक आकड़ा,
अस्पताल में दुर्घटना, एक आकड़ा,
पीड़ित परिवारों के लिए राहत, एक आकड़ा |
कभी बाढ़ से बहे गए गाँव कसबे,
किधर बेघर लोग फुटपाथ पे हस्ते,
कहीं उद्योग ने किए खेत नीलाम,
हज़ारों को मुआफज़ा, और एक निज़ाम,
सारे एक आकड़े ||
किसानो की क़र्ज़ मुक्ति, एक आकड़ा,
अस्पताल में दुर्घटना, एक आकड़ा,
पीड़ित परिवारों के लिए राहत, एक आकड़ा |
कभी बाढ़ से बहे गए गाँव कसबे,
किधर बेघर लोग फुटपाथ पे हस्ते,
कहीं उद्योग ने किए खेत नीलाम,
हज़ारों को मुआफज़ा, और एक निज़ाम,
सारे एक आकड़े ||
लोकतंत्र मे चुनाव के हकदार, एक आकड़ा,
प्रशासन की कुर्सी के दावेदार, एक आकड़ा,
ज़ात मुताबिक दाल में तड़का, एक आकड़ा,
सल्तनत मे सज़ा-ए-मौत, एक आकड़ा|
प्रशासन की कुर्सी के दावेदार, एक आकड़ा,
ज़ात मुताबिक दाल में तड़का, एक आकड़ा,
सल्तनत मे सज़ा-ए-मौत, एक आकड़ा|
सांसें है बंधी किसी धुन में,
हर इंसान मशगूल है अपनी धुन मे,
धोखाधरी कायम है उसूलों पे,
जुआ तो खेला युधिष्ठिर भी महाभारत मे,
आखिर हम सब आकड़े है ||
हर इंसान मशगूल है अपनी धुन मे,
धोखाधरी कायम है उसूलों पे,
जुआ तो खेला युधिष्ठिर भी महाभारत मे,
आखिर हम सब आकड़े है ||
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