मैं बेबस नहीं हूँ |
बस अपनी हसरतों का घुलाम हूँ|
ऐसी हसरतें जो बहुत नाज़ुक है,
जो बहुत ह्जत- मंद है,
जिससे मुक्कम्मल करने के लिए मुझे,
अपने फहशियों का सहारा लेना पढ़ता है|
लेकिन में फहाशी नहीं हूँ,
में बेबस नहीं हूँ||
बस अपनी ज़रुरतो का मोहताज हूँ|
ऐसी ज़रूरते जिनके सरहदे नहीं है,
जिनका अंजाम नहीं है,
जिनसे वफ़ा करने के लिए मुझे,
अपने हालात से समझोता करना पढ़ता है|
लेकिन में मजबूर नहीं हूँ,
में बेबस नहीं हूँ||
बस समाज के कायदों का ताबेदार हूँ||
ऐसे कायदे जिनसे दम घुटने लगता है,
जिनमे हौसला टूटने लगता है,
जिसका मुआफ्ज़ा भरने के लिए मुझे,
अपने खुशियों का सौदा करना पढ़ता है|
लेकिन में सौदागर नहीं हूँ,
में बेबस नहीं हूँ||
बस नौ-से-पांच की ज़िंदगी तलबगार हूँ|
ऐसी ज़िंदगी जिसमे जोखम उठाना ज़रूरी है,
जिसमे दिल लगाना बेवकूफी है,
जिसको बेहतर बनाने के लिए मुझे,
अपने मौजूदगी का तजाहुल करना पढ़ता है|
लकिन में बेजान नहीं हूँ,
में बेबस नहीं हूँ||
क्यूँ तुम्हे लगता है ऐसा, मेरे हाल-औ-सूरत को देखकर?
क्या में पियादा लगता हूँ, मेरी दस्तूर को पढ़कर?
क्यूँ तुम खालीपन का एहसास दिलाते हो, मुझसे रूबरू होकर?
ठीक हूँ अंधेरे के साये मे, उजाले का घरुर नहीं समाएगा|
में बता चूका हूँ कोई मर्ज़ नहीं मुझमे,
मत दो तवाजाह का मशवरा, नहीं हो पाएगा||
अब ना करो और तफ्तीश,
मत लो मेरा ईम्तहान,
बोल तो रहा हूँ चीख-चिखके,
में बेबस नहीं हूँ, नहीं हूँ||