Friday, December 17, 2021

आकड़े

ज़िंदगी है बंधी कायदों मे,
हर शक्स की तारुफ़ सौदे मे,
बाज़ार ये ज़िंदा है मुनाफ़े मे,
समाज ये पनपता है दायरों मे,
लेकिन सब कुछ सिर्फ आकड़े है | 

जो आज़ादी मिली , एक आकड़ा ,
कितने मुहाजिर हुए, एक आकड़ा ,
जो दंगो के अंजाम हुए, एक आकड़ा ,
कितने कत्ल-ए-आम हुए, एक आकड़ा | 
कहीं थे बेरोज़गारी के किस्से,
किधर भुकमरी से भरी सड़के,
कभी जंग से बिखरे कारतूस,
कहीं कब्र में इतिहास मशरूफ,
सारे एक आकड़े || 
 


गरीबी की सीमा बनी, एक आकड़ा,
परिचय का सबूत, एक आकड़ा,
तालीम के हकदार, एक आकड़ा,
रोज़गार के उम्मीदवार, एक आकड़ा | 
कभी कानून था इंसाफ में नाकाम्याब,
कोई अर्ज़ी में दलीले बेहिसाब,
कहीं रिशवत से मज़बूत हुए सरकार,
किधर व्यापार ने बनाया काला बाज़ार,
सारे एक आकड़े || 

बिमारी की बीमा बनी, एक आकड़ा,
किसानो की क़र्ज़ मुक्ति, एक आकड़ा,
अस्पताल में दुर्घटना, एक आकड़ा,
पीड़ित परिवारों के लिए राहत, एक आकड़ा | 
कभी बाढ़ से बहे गए गाँव कसबे,
किधर बेघर लोग फुटपाथ पे हस्ते,
कहीं उद्योग ने किए खेत नीलाम,
हज़ारों को मुआफज़ा, और एक निज़ाम,
सारे एक आकड़े ||  

लोकतंत्र मे चुनाव के हकदार, एक आकड़ा,
प्रशासन की कुर्सी के दावेदार, एक आकड़ा,
ज़ात मुताबिक दाल में तड़का, एक आकड़ा,
सल्तनत मे  सज़ा-ए-मौत, एक आकड़ा| 
सांसें है बंधी किसी धुन में,
हर इंसान मशगूल है अपनी धुन मे,
धोखाधरी कायम है उसूलों पे,
जुआ तो खेला युधिष्ठिर भी महाभारत मे,
आखिर हम सब आकड़े है ||     
 
           


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